लोकसभा चुनाव: दुर्ग के भाजपा सदस्य धर्मपाल गुप्ता और कांग्रेस के मोतीलाल वोरा राजनांदगांव से जीते
लोकसभा चुनाव: दुर्ग के भाजपा सदस्य धर्मपाल गुप्ता और कांग्रेस के मोतीलाल वोरा राजनांदगांव से जीते

लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस इस बार हर सीट को जीतने की रणनीति के साथ चुनावी मैदान में है। आजादी के बाद से अब तक पहली बार दुर्ग जिले के चार से ज्यादा उम्मीदवार दूसरी लोकसभा सीट से खुद को आजमा रहे हैं। साथ ही जनता में पैठ बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इससे पहले भी भाजपा और कांग्रेस ने इस तरह का राजनीतिक प्रयोग किया है और वो सफल भी रही है। भाजपा के धर्मपाल गुप्ता और कांग्रेस के मोतीलाल वोरा राजनांदगांव से चुनाव लड़े और जीते भी। बता दें कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने प्रत्याशी के लिए लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र की सीमा नहीं होती।
काेई भी, किसी भी संसदीय व विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है। मगर इस बार दुर्ग के नेताओं के पलायन की चर्चा इसलिए ज्यादा है, क्योंकि एक साथ जिले के तीन बड़े कांग्रेसी और भाजपा की एक कद्दावर नेता दूसरे संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पाण्डेय जहां कोरबा में राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी हुई हैं।
वे महापौर, विधायक, सांसद और राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं। दूसरी तरफ, पाटन विधानसभा से हमेशा चुनाव लड़ने वाले पूर्व सीएम भूपेश बघेल राजनांदगांव सीट से मैदान में हैं। पूर्व गृहमंत्री और सांसद रहे ताम्रध्वज साहू इस बार विधानसभा चुनाव हार गए हैं। अब वे महासमुंद लोकसभा क्षेत्र की जनता से वोट मांग रहे हैं। भिलाई विधायक निर्वाचित देवेंद्र यादव इस समय बिलासपुर से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। उन्होंने बिलासपुर को ही अब अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाने की सार्वजनिक घोषणा की है।
2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने भूपेश बघेल को रायपुर संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। भाजपा प्रत्याशी रमेश बैस से चुनाव हार गए। बैस को 3 लाख 64 हजार 943 (50.61%) और भूपेश को 3 लाख 07 हजार 42 (50.61%) वोट मिले थे। इस बार कांग्रेस ने भूपेश को राजनांदगांव से उतारा है। इस बार उनका मुकाबला भाजपा के संतोष पांडेय से है। बघेल और सांसद पांडेय के बीच मुकाबले ये यह हॉट सीट बन गई है।
1989 में पुरुषोत्तम लाल कौशिक रायपुर से आकर दुर्ग में जनता दल से चुनाव लड़े। उन्होंने कांग्रेस के चंदूलाल चंद्राकर को 17.77% मतों के अंतर से पराजित किया। कौशिक को 54.11% (3 लाख 35 हजार 131 वोट) और चंदूलाल को 36.34% (2 लाख 25 हजार 098 वोट) वोट मिले थे। तब कौिशक को भाजपा का भी समर्थन था। 1991 में हुए चुनाव में भाजपा ने मनरखान साहू को मैदान में उतारा। कौशिक जनता दल से फिर चुनाव लड़े लेकिन इस बार उन्हें मात्र 67052 (12.26%) मत प्राप्त हुए।
1998 में कांग्रेस ने दुर्ग के मोतीलाल वोरा को राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाया। वोरा ने भाजपा के अशोक शर्मा को हरा दिया। वोरा को 3 लाख 04 हजार 707 (50.61%) वोट मिले थे। वहीं शर्मा को 2 लाख 52 हजार 468 (41.93%) मत प्राप्त हुए। 1999 में कांग्रेस ने वाेरा को राजनांदगांव से फिर मौका दिया, लेकिन वे डॉ. रमन सिंह से पराजित हो गए। रमन को 3 लाख 4 हजार 611 और वोरा को 2 लाख 77 हजार 896 मत प्राप्त हुए थे।
1989 में भाजपा ने दुर्ग के धर्मपाल गुप्ता को राजनांदगांव से मैदान में उतारा था और वे जीते भी। गुप्ता को 2 लाख 49 हजार 389 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के शिवेंद्र बहादुर सिंह को 1 लाख 79 हजार 195 मत प्राप्त हुए थे। राजनांदगांव की 51.52% जनता ने धर्मपाल को चुना। वहीं, शिवेंद्र को 37.03% वोट मिले थे। 1991 में भाजपा ने धर्मपाल को दोबारा राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाया, लेकिन वे शिवेंद्र बहादुर सिंह से चुनाव हार गए।
